
Bagless Day उत्तराखंड के सभी सरकारी और निजी स्कूलों के लिए एक बड़ी और राहत भरी खबर सामने आई है। अब हर माह के अंतिम शनिवार को स्कूलों में “बैगलेस डे” मनाया जाएगा। इस दिन बच्चों के कंधों पर भारी भरकम बैग का बोझ नहीं होगा, बल्कि वे हल्के मन से सीखने और रचनात्मक गतिविधियों का आनंद उठा सकेंगे। शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने इस योजना की घोषणा की।
क्या है बैगलेस डे की योजना?
“बैगलेस डे” का उद्देश्य बच्चो को पढ़ाई के साथ-साथ व्यावहारिक ज्ञान, रचनात्मकता और मनोरंजन से जोड़ना है। इस दिन विद्यार्थियों को किताबों और नोटबुक के बोझ से मुक्ति मिलेगी। इसके बजाय स्कूलों में:
- विभिन्न खेल प्रतियोगिताएं
- कला एवं शिल्प गतिविधियाँ
- नृत्य, संगीत और नाटक कार्यशालाएं
- विज्ञान प्रयोगशाला, पुस्तकालय भ्रमण
- सामाजिक जागरूकता कार्यक्रम
- कौशल विकास सत्र (जैसे पेंटिंग, कुकिंग, योग आदि) जैसी रोचक और ज्ञानवर्धक गतिविधियां आयोजित की जाएंगी।
यह कदम क्यों आवश्यक था?
आज के दौर में बच्चों पर पढ़ाई का दबाव बहुत बढ़ गया है। भारी बैग उठाने से न केवल उनका शारीरिक विकास प्रभावित होता है, बल्कि मानसिक तनाव भी बढ़ता है। कई अध्ययनों में यह साबित हो चुका है कि अत्यधिक भारी बैग बच्चों की रीढ़ की हड्डी पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। “बैगलेस डे” बच्चों को नई ऊर्जा और खुशी देगा, जिससे वे पढ़ाई के प्रति अधिक उत्साही और सकारात्मक बनेंगे।

विद्यार्थियों के लिए सुनहरा अवसर
बैगलेस डे न केवल पढ़ाई से एक सुखद ब्रेक प्रदान करेगा, बल्कि छात्रों की रचनात्मकता, नेतृत्व कौशल और टीम वर्क की भावना को भी मजबूत करेगा। यह उनके सर्वांगीण विकास में बहुत बड़ा योगदान देगा।
निष्कर्ष:
Bagless Day बच्चों के लिए एक नया बदलाव है। यह पहल बच्चों के बचपन को और अधिक रंगीन, रचनात्मक और आनंददायक बनाएगी। शिक्षा अब किताबों तक सीमित नहीं रहेगी बल्कि जीवन कौशल और व्यावहारिक ज्ञान का भी हिस्सा बनेगी।

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