Ankita Bhandari: 30 मई 2025 को उत्तराखंड के कोटद्वार सत्र न्यायालय ने अंकिता भंडारी हत्याकांड में मुख्य आरोपी पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। यह फैसला ऐसे मामले में आया है जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था और न्याय प्रणाली की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए थे।

19 वर्षीय अंकिता भंडारी पौड़ी जिले के यमकेश्वर में वनतंत्रा रिसॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के रूप में काम कर रही थी। सितंबर 2022 में उसे ‘वीआईपी’ ग्राहकों को अवैध सेवाएं देने के लिए मजबूर किया गया। 19 वर्षीय अंकिता भंडारी पौड़ी जिले के यमकेश्वर में वनतंत्रा रिसॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के रूप में काम कर रही थी। सितंबर 2022 में उसे ‘वीआईपी’ ग्राहकों को अवैध सेवाएं देने के लिए मजबूर किया गया।
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मामले की जांच विशेष जांच दल (एसआईटी) ने की, जिसने 500 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की और 100 गवाहों के बयान दर्ज किए। इनमें से 47 गवाहों की गवाही अदालत में पेश की गई। जांच के दौरान यह भी पता चला कि आरोपियों ने रिसॉर्ट के सीसीटीवी कैमरे बंद कर दिए थे और सबूत मिटाने के लिए डीवीआर से छेड़छाड़ की थी। इसके अलावा फोरेंसिक जांच में आरोपियों की लोकेशन घटनास्थल पर ही मिली और अंकिता की वॉट्सऐप चैट में भी इस दबाव का जिक्र है।
सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव
यह मामला उत्तराखंड में महिलाओं की सुरक्षा और न्याय व्यवस्था की पारदर्शिता को लेकर एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। इस मामले ने राज्य में ‘बाहरी’ निवेशकों के बढ़ते प्रभाव और उससे जुड़े अपराधों पर भी सवाल खड़े किए। अंकिता की हत्या ने राज्य में भूमि कानूनों और बाहरी निवेश की नीतियों पर पुनर्विचार की मांग को बल दिया।
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अंकिता भंडारी हत्याकांड में यह फैसला न केवल पीड़ित परिवार को न्याय का अहसास कराता है, बल्कि समाज में महिलाओं की सुरक्षा और न्याय व्यवस्था की मजबूती का भी प्रतीक है। यह निर्णय दर्शाता है कि प्रभावशाली लोगों के खिलाफ भी न्याय संभव है, बशर्ते समाज और न्याय प्रणाली मिलकर इसके लिए काम करें।